Tuesday, October 29, 2019

दिपावली

दीवाली की अवधी परम्पराऐं और रीति-रिवाज
अब धीरे धीरे ख़ात्मे की ओर है ..!
घरों की सफाई, रंगाई-पुताई के बाद लगभग
हफ्ते भर का यह त्योहार बड़े उत्साह से मनाया
जाता है...!

पुतना बनाना... दीवाल पर चित्रांकन करने की
और घरौंदे बनाने की लगभग खत्म हो चुकी है
इसकी जगह कलेंडर ने ले ली है ।
मिट्टी के खिलौने...कुम्हारों द्वारा बनाये गए
गणेश लक्ष्मी,घर-गृहस्थी, हाथी-घोड़ा,मटका-
मटकी आदि खिलौने भी बनते ।
गणेश-लक्ष्मी की पूजा...शंकरपुत्र गणेश के दाएं
लक्ष्मी स्थापित की जाती है क्योंकि वह भी मां
समान (चाची) है ।
गोवर्धन पूजा...56 सब्जियों के अन्नकूट का
भोग लगता है इसे चिरैयागौर भी कहते है ।
पूजा के बाद उसे समेट कर गोबर का पर्वत बनाया जाता है उसे करवा चौथ की सींकों से सजा कर दिया जलाया जाता है ।
भैया दूज (यम द्वितीया)...सूर्यपुत्र यमराज ने
यमुना किनारे रोचना कराया था । कहते है कि
यदि भाई-बहन स्नान कर रोचना लगवाये तो
यमराज की यातनाओं से मुक्त रहेंगे ।
अलाय-बलाय... दीवाली की रात तारे देख कर
सन की टहनियां जलाकर घर से 
निकाली जाती है ।
सच्चा मोती खिलाना...दीवाली की रात में जादू
जगाये जाते हैं ,तांत्रिक प्रयोग होते है । छोटे बच्चों के गले मे काले धागे में छोटे नीबूं और
सात जवा लहसुन पिरोकर पहनाया जाता है
और उन्हें पेड़े के साथ सच्चा मोती पीस कर
खिलाया जाता है ।
कौड़ियां जगाना...रात को कौड़ियां जगाई जाती
है, कौड़ी संसार की प्राचीनतम मुद्रा है। लोग
16 कौड़ियों की सौराही खेलते है अब लोग ताश
खेलते है ।
खील-बताशे, चूरा-गट्टा.... यह त्योहार
फसलों से जुड़ा है खरीफ की पैदावार धान और
गन्ना देवताओं को अर्पित किया जाता है ।
नाली पर दिया रखना...यह त्योहार नरकासुर
रॉक्षस पर विजय का पर्व है इस लिए नाली पर
दिया रखते है ।
काजल का पारा जाना....एक पक्के दिए को
सरसो के तेल डाल उस पर कच्चे दिए को रख
काजल पारा जाता है और रात में पूरे परिवार
को लगाया जाता है ।

समय के साथ धीरे धीरे परम्पराएं और रीतिरिवाज लगभग समाप्त होते गए और आज
हम सिर्फ खाना पूरी करते है